हर किसी शस्त्र की अपनी अलग खासियत होती है कुछ वेपन ज्यादा नुकसान करते है तो कुछ कम. पर हर किसी शस्त्र निर्माण के पीछे एक ही मकसद होता है और वो है विध्वंस करना शस्त्र निर्माती में कई बार विचार नही किया जाता और बनाये जाते है विध्वंशक और भयानक ह’थियार तो चलिये दोस्तो आज हम जानते है कुछ विध्वंशक ह’थियारों के बारे में जिनकी भयानता की वहज से प्रतिबंधित कर दिया गया
नंबर 5 बैट बॉम्ब्स
1940 का समय ऐसा था कि जब दुनिया दुतीय विश्व युद्ध के आग में झुलस रही थी जापान के हमले के बाद अमेरिका में जापान के खिलाफ काफी रोष उमर पड़ा था इसी पर न्यू रखी गयीं थी इसके तहत चमगादड़ का बैट्स में प्रोयोग किया गया ये चमगादड़ छोटे छोटे टाइम बोम आसानी से कैरी कर सकते थे अब कल्पना करो कि एक दिन आपके शहर में छोटे छोटे चंमदगाड़ो का हल्ला होता है जो टाइम बोम कैरी कर रहे हो वो मंजर कितना भयानक होगा ये आईडिया एक अमेरिकन डेंटिस्ट के दिमाग मे आई थी जब उस डेंटिस्ट ने चमगादड़ के ऊंचे उडने और दूर दूर तक जाने की काबिलियत परखी इतना सब कुछ जान लेने के बाद उस डेंटिस्ट ने समझा कि ये युद्ध मे काफी खतरनाक साबित हो सकते है और तभी सुरुवात हुई थी प्रोजेक्ट एक्सरे की
नंबर 4 ब्लाइंडिंग लेजर बेमस
वैसे तो कई लेजर बेमस का इस्तेमाल युद्ध मे किया जाता है पर उनमें से आज भी कुछ लेजर बेमस है जिनका इस्तेमाल प्रतिबंध है सोचिए अगर युद्ध मे दुश्मन को अंधा किया गया तो वो लडने के काबिल ही नही रहेगा उनका अपने हेलीकॉप्टर पर काबू नही रहेगा और वो गलती से खुद को खत्म कर लेंगे कुछ लेजर बेमस दुश्मन को अंधा बनाने का काम आसानी से कर सकते है ये लेजर दुश्मन को हमेशा के लिए अंधा बना सकती है ऎसे भयानक रूप को देखते हुवे ऐसे लेजर पर प्रतिबंध लगाया गया
नंबर 3 प्लास्टिक लैंडमाइंस
आम तौर पर कोई भी देश लैंडमाइंस का इस्तेमाल अपने इलाके को सुरक्षित करने के लिए करता है जमीन के नीचे रखे जाने वाले बोमस पर अगर कोई भी आसानी से पैर रख दे तो वो फट जाएगा और इंसान की मौत हो जाएगी कभी कभी लैंडमाइंस का प्रयोग आम नागरिक को नुकसान पहुचने के लिए किया जाता है लैंडमाइंस को ढूंडने के लिए मेटल डिडेक्टर का उपयोग किया जाता है और लैंडमाइंस आसानी से ढूंढे जा सकते है 1970 में हुए एक समझौते पर युद्ध मे उन हथियारों पर बैन लगा दी गई जिन्हें एक्सरे में देखा न जा सके प्लास्टिक लैंड माइंस इसी तरह के हथियार में शामिल है
नंबर 2 पॉइज़न बुलेट
कई बार ऐसा होता है कि दुश्मन पर चलाई बन्दूक की गोली से वो बच जाता है इसलिए जहरीले बन्दूक की गोली का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वो दुश्मन बच नहीं पाता ये सिलसिला आज का नही है इसकी शुरुआत16 वी 17 वी
शताब्दी में हुई थी असल मे गोली में किसी तरह का जहर नही लगाया जाता बस गोलियां धूल खाने के लिए कई महीनों तक छोड़ दी जाती इससे होता ये की गोलियां पर कई तरह की बैक्टीरिया फैल जाते है जिस किसी पर इस गोली का इस्तेमाल होता या फिर वो उसी क्षण मर जाता या फिर इन गोलियों ओर फैली बैक्टीरिया की बीमारी की वजह से 1- 2 दिन में ख़त्म हो जाता इसकी भयानकता को समझते हुए 1675 में रोमन साम्राज्य और फ्रान्स में समझौता हुआ की ऐसे जहरीले बुलेट्स का इस्तेमाल हम एक दूसरे के ऊपर कतई नही करेंगे
नंबर 1 एक्सपैंडिंग बुलेट्स
कोई भी बन्दूक की गोली जो टारगेट को हिट करने के बाद ब्लास्ट करती है या फैलती है उसे एक्सपैंडिंग बुलेट्स कहा जाता है जब साधारण गोली किसी टारगेट को हिट करती है तो बुलेट टारगेट में छेद बनाकर आगे बढ़ती है या टारगेट में धस जाती है एक्सपैंडिंग बुलेट्स टारगेट में टकराने के बाद बुलेट में छोटा सा
विस्फोट होता है जिससे नुकसान आम बुलेट से कई ज्यादा होता है अगर आप सोचते हो कि ये अविष्कार नए जमाने का अविष्कार है तो शायद आप गलत सोचते हो 1889 में ब्रिटेन ने इसका अविष्कार भारत में किया था हालो नामक बुलेट है जिसका अविष्कार कुछ सालों पहले हुआ होगा पर असल मे ये
वही बुलेट्स है जिन्हें 1899 में बैन करवा दिया गया था