मित्रों वैसे तो मछली मानव पोषण का अच्छा स्रोत होने की वजह से आज एक व्यवसाय के रूप में स्थापित हो चुका हैं, मछली को मुख्य रूप से खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता हैं, पहले मछली पालन उद्योग मछुआरों तक ही सीमित था, पर आज यह सफल और प्रतिष्ठित लघु उद्योग के रूप में स्थापित हो रहा है। नई-नई टेक्नोलॉजी ने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है। मत्स्य पालन रोजगार के अवसर तो पैदा करता ही है, खाद्य पूर्ति में वृद्धि के साथ-साथ विदेशी मुद्रा अर्जित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसी क्रम में आज हम एक ऐसी मछली के संबंध में बात करने वाले है जो सोने से भी महंगी होती है। इसके रख-रखाव का खर्च भी काफी अधिक होता है। खबर विस्तार से जानने के लिये इस पोस्ट के अंत तक बने रहे।चुपके से रेंगते हुए आया मगरमच्छ और अचानक शख्स पर चढ़ गया,विडियो देख अटकी लोगो की साँसे
दरअसल जापानी लोगों को सी-फूड काफी पसंद है, इसे बड़े चाव से खाते हैं। जापान के सी फूड मार्केट में आपको वैसे तो अलग-अलग तरह की मछलियां के साथ उनके हाई फ़ाई दाम भी देखने को मिलेंगे। पर इन्हीं में शामिल है जापान की मशहूर उनागी मछली। जापान में ताजे पानी में पाई जाने वाली उनागी प्रजाति की ईल मछली सोने के जितनी महंगी है। बिजनेस इनसाइडर के मुताबिक साल 2018 में इस मछली की कीमत 35 हजार डॉलर प्रति किलो का भाव रहा है। जो कि उस दौरान सोने की कीमत से भी महंगी थी। जापानी लोगों को यह मछली बेहद प्रिय है, सालों से ये लोगों का पसंदीदा खाना है। ये जानकर ताज्जुब होगा कि सिर्फ जापान के होटल और रेस्तरां में करीब-करीब 50 टन ईल मछली हर साल बेची जाती है। इस मछली के बच्चों को पकड़कर ताजे पानी में बड़े होने तक पाला जाता है। एक साल के बाद ये बेचने लायक हो जाती हैं। यह मछलियां ज्यादातर पूर्व एशिया में पाई जाती हैं। इस मछली को पकड़ने के बाद एक प्रोसेस से गुजरना पड़ता है।
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि जापान में पाई जाने वाली ये मछलियां इतनी महंगी इसलिए हैं क्योंकि 1980 के बाद इनकी आबादी में 75% की गिरावट दर्ज की गई। ईल और दूसरी मछलियों में इतना अंतर है कि दूसरी मछलियों को तब पकड़ा जाता है जब वो बड़ी हो चुकी होती हैं लेकिन उनागी मछली जब काफी छोटी होती हैं, तभी उन्हें पकड़ लिया जाता है। दूसरी वजह यह है कि इसके पालन पोषण में आने वाला भारी भरकम खर्च। बाजार में आमतौर पर बिकने वाली मछलियां सीधे पकड़कर बाजार में बेच दी जाती है। जबकि ईल मछली के बच्चों को पकड़कर उन्हें पालना पड़ता है। इन्हें चारा, गेहूं, सोयाबीन, मछलियों का तेल जैसा खाना खिलाया जाता है और इसमें अच्छा खासा खर्च हो जाता है। उनागी मछलियों के बच्चों को पकड़कर एक साल तक पाला जाता है, क्योंकि इन मछलियों को बड़ा होने में 6 महीने से 12 महीने का वक्त लगता है। इन मछलियों को दिन में तीन बार भोजन दिया जाता है। बता दें कि उनागी मछलियों को पालने के दौरान बेहद सावधानी से रखा जाता है।दुनिया के 10 सबसे बड़े और अजीब सांप,जो जिंदा व्यक्ति को पल भर निगल लेते है
अगर एक भी मछली को कुछ भी नुकसान पहुंचता है तो सारी मछलियां अपने आप खराब हो जाती हैं। जापान के रेस्टोरेंट्स में उनागी मछलियों की काफी ज्यादा डिमांड होती हैं। लेकिन ईल को बनाना कोई आसान बात नहीं है। कोई भी शेफ इस मछली को नहीं बना सकता है। इसे बनाने की विधि सीखने में कई साल लग जाते हैं। इसके साथ ही ईल मछली को काटना भी बेहद कठिन होता है। जापान में इसे काटने के लिए प्रशिक्षण लेना पड़ता है, इसे सीखने के लिए लोगों को जिंदगी गुजार देनी पड़ती है। वहीं, इस मछली को भूनना भी आसान नहीं होता है। ईल से बनी ग्रिलिंग भी जापान में बेहद महंगी बिकती है। इसकी कीमत 91 हजार डॉलर बताई जाती है। इस जानकारी के संबंध में आप लोगों की क्या प्रतिक्रियायें है। मित्रो अधिक रोचक बाते व लेटेस्ट न्यूज के लिये आप हमारे पेज से जुड़े और अपने दोस्तो को भी इस पेज से जुड़ने के लिये भी प्रेरित करें।