दोस्तो जब इंसान जीवन कुछ बड़ा करना चाहता है अपने बड़े सपनों को पूरा करना चाहता है ।तो उसके सपनों के बीच कोई भी बाधा नहीं आ सकती उसके कुछ कर दिखाने के जज्बे के सामने हर बाधा हर मुसीबत छोटी लगने लगती है ।आज हम आपको एक ऐसी ही बच्ची के बारे में बताने वाले है जिसने अपने भविष्य को लेकर कई सुनहरे ख्वाब सजाए हुए है । उस हौनहार बच्ची के बारे में जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़े
ये हौसलों की उड़ान है… बिहार के जमुई जिले के एक छोटे से गांव की बच्ची सीमा टीचर बनने की चाहत रखती है। आगे बढ़ना चाहती है-पढ़ना चाहती है। इसके लिए वो अपने सारे जख्मों को भुला चुकी है। ‘मैं पढ़ना चाहती हूं। आगे बढ़ना चाहती हूं। टीचर बनना चाहती हूं। सबको पढ़ाना चाहती हूं। पापा बाहर काम करते हैं, मम्मी ईंट भट्टे में काम करती हैं। हां, ईंट पारती हैं। दोनों पढ़े लिखे तो नहीं हैं लेकिन…’ अपनी जुबान में चौथी क्लास में पढ़ने वाली दिव्यांग छात्रा सीमा कुछ यही कहती है।
सीमा, आज सीमा का जिक्र इसलिए हो रहा है क्योंकि इस लड़की के हौसले बेहद मजबूत हैं। एक पैर को पूरी तरह खो चुकी सीमा घर से स्कूल तक की दूरी उछल-उछलकर तय कर लेती है। रोज नहाना, तैयार होना और फिर स्कूल ड्रेस और बैग के साथ पगडंडियों से होते हुए स्कूल तक पहुंचना। ये सीमा की पहचान है। हर कोई सीमा को देखता है और कहता है, ‘बिटिया कहां?’, बिटिया तपाक से उत्तर देती है, ‘स्कूल’।
बिहार के जमुई जिले के एक गांव की दिव्यांग बच्ची सीमा दुर्घटना में एक पैर खोने के बावजूद पढ़ने के लिए एक पैर से उछल-उछलकर स्कूल जाती है। इसका वीडियो वायरल हुआ तो मदद के कई हाथ बढ़े। जमुई के डीएम अवनीश कुमार सिंह ने तुरंत ट्राइसाइकिल दिया। आगे और मदद भी दी जायेगी