मित्रो इस बात में तो कोई दो राय नही कि सड़क किनारे लगे ठेलों से समोसे, चाट-पकौड़ी, जलेबी, चाऊमीन, मोमोस आदि तो हम सभी खाते होगें‚ पर कभी सोचा है कि शाम को इन ठेलों पर कुछ घंटे रहने वाली रौनक से ये लोग कितना पैसा कमा लेते होगें , नही न तो आइये आज हम इस संबंध में कुछ खास जानकारियां देने जा रहे है। जिन ठेलें वालों को हम गरीब समझते है, उनमें से कई तो हमारी सोच से भी अधिक अमीर है। आपको जानकर हैरानी हो कि हाल ही के सर्वे के दौरान आयकर विभाग और जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जांच में 256 ठेले वाले करोड़पति निकले हैं।
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बाहर इन व्यपारियों द्वारा सरकार को एक रुपया का भी टैक्स नहीं दिया गया और महज चार साल के अंदर 375 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीद डाली। आकड़ो के मुताबिक ये संपत्तियां कमर्शियल इलाकों में खरीदी गई है। जिसमें आर्यनगर, स्वरूप नगर, बिरहाना रोड, हूलागंज, पीरोड, गुमटी आदि।
हालांकि कुछ करोड़पति ठेले वालों की पहचान की गई है। मालरोड का खस्ते वाला अलग-अलग ठेलों पर हर महीने सवा लाख रुपए किराया दे रहा है। सोचिए जब इतना किराया दे रहा है तो कमाई कितनी होगी। इसी तरह स्वरूप नगर, हूलागंज के दो खस्ते वालों ने दो इमारतें खरीद लीं। लालबंगला का एक और बेगमगंज के दो कबाड़ियों ने तीन संपत्तियां दो साल में खरीदी हैं, जिनकी बाजार कीमत दस करोड़ से ज्यादा है।