मित्रों आप लोगों ने ट्रेनों में तो बहुत सफर किया होगा। हालाकि पहले की अपेक्षा आज के समय में बहुत सी सुविधायें इन ट्रेनों में बढ़ा दी गई है, जिसका लाभ भी हम लोग समय समय पर उठाते रहते है। बता दें कि आज के समय में यात्रा करना भले ही बहुत मंहगा हो गया है पर ट्रेनों का सफर अभी भी बहुत ही सस्ता है, इसलिये अधिकतर लोग ट्रेन का ही सफर करना पसन्द करते है, पर आज हम ट्रेन की जिस जानकारी से आप लोगों को अवगत कराने वाले है, उसके संबंध में शायद ही आप लोगों पता होगा। क्योंकि ट्रेन पर सफर भले ही सबने किया हो पर उन्हें ये नही पता होगा कि ट्रेन 1 किलोमीटर में कितना तेल खाती होगी? यह जानने के लिये इस पोस्ट के अंत तक बने रहे।हेलीकॉप्टर और चॉपर में क्या होता है अंतर 90% भारतीय समझते है एक जैसा,आपको पता है क्या?
आपको बता दें कि भारतीय रेल के इंजन में जो तेल की टंकी लगी होती है उसे तीन हिंस्सों में बांटा जाता है, 5000 लीटर, 5500 लीटर और 6000 लीटर, डीजल इंजन में प्रति किलोमीटर का एवरेज गाड़ी के लोड के मुताबिक होता है। ट्रेन के इंजन का माइलेज कई चीजों से तय होता है, डीजल इंजन से चलने वाली 12 कोच वाली पैसेंजर ट्रेन की बात करें, तो ये 6 लीटर में एक किलोमीटर का माइलेज देती है, 24 कोच वाली एक्सप्रेस ट्रेन में जो डीजल इंजन लगा होता है वह भी 6 लीटर प्रति किलोमीटर का माइलेज देता है, इसके अलावा अगर कोई एक्सप्रेस ट्रेन 12 डिब्बों के साथ यात्रा करे, तो उसकी माइलेज 4.50 लीटर प्रति किलोमीटर हो जाती है। पैसेंजर ट्रेन और एक्सप्रेस ट्रेन के माइलेज में अंतर इसलिए होता है, क्योंकि पैसेंजर ट्रेन सभी स्टेशनों पर रुकते हुए चलती है, उसमें ब्रेक और एक्सीलेटर का ज्यादा इस्तेमाल होता है, ऐसे में पैसेंजर ट्रेन का माइलेज एक्सप्रेस ट्रेन के मुकाबले कम होता है, इसके उलट एक्सप्रेस ट्रेन के स्टॉप काफी कम होते हैं और उन्हें ब्रेक और एक्सिलेटर का भी कम इस्तेमाल करना पड़ता है। हवाई जहाज और ट्रेन के इंजन में कौन है ज्यादा ताकतवर,90% लोग देते है गलत जबाव
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि मालगाड़ी में माइलेज बहुत ही अलग-अलग होता है, इसमें कई बार वजन ज्यादा होता है तो कई बार गाड़ी खाली चलती है, अगर मालगाड़ी पर वजन ज्यादा है तो माइलेज कम होगा, अगर मालगाड़ी पर वजन कम है तो माइलेज ज्यादा होगा, ट्रेन रुकने के बावजूद ट्रेन के इंजन को बन्द नहीं करने के पीछे की वजह यह है कि इसको दोबारा स्टार्रट करने में 20-25 मिनट का वक्त लगता है, इसके अलावा इंजन बंद करने पर ब्रेक पाइप का प्रेशर काफी कम हो जाता है जिसे दोबारा उसी पोजीशन पर लाने में लंबा वक्त लगता है, ट्रेन के इंजन को स्टार्ट करने में ज्यादा तेल नहीं खर्च होता, इसको भी स्टार्ट करने में उतना ही तेल लगता है जितना बाइक या स्कूटर में लगता है। इस जानकारी के संबंध में आप लोगों की क्या प्रतिक्रियायें है। मित्रो अधिक रोचक बाते व लेटेस्ट न्यूज के लिये आप हमारे पेज से जुड़े और अपने दोस्तो को भी इस पेज से जुड़ने के लिये भी प्रेरित करें।